FEMA Full Form in Hindi




FEMA Full Form in Hindi - FEMA की पूरी जानकारी?

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FEMA Full form in Hindi

FEMA की फुल फॉर्म “Foreign Exchange Management Act” होती है, FEMA का हिंदी में मतलब “विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम” होता है. FEMA का मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी laws का amendment व एकीकरण करना है FEMA भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के रख-रखाव व सुधार को प्रोत्साहित करता है FEMA का मुख्य उद्देश्य यह भी है यह कानून भारत से बाहर रहने वाले भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता है. FEMA कानून यह कहता है की यदि को कोई व्यक्ति अपने साथ अधिकतम 5 हजार Dollar और इतनी ही कीमत का सामान ले जा सकता है. अगर इससे अधिक विदेशी मुद्रा या सामान ले जाता है तो उसे पहले इसकी जानकारी Custom Officer को देनी होगी, आइये अब इसके बारे में अन्य सामान्य जानकारी प्राप्त करते हैं।

FEMA Act को FERA Act की जगह पर लाया गया है FERA एक Debatable कानून था जिसे 1973 में सांसद की मंजूरी मिली थी और 1974 में Existence में आया था यह एक अपराधिक श्रेणी का कानून था भारत में जो भी इस नियम का उल्लंघन करता पाया जाता उसे उस पर कड़ी कार्यवाही होती थी, FEMA कानून से बड़े बड़े Industrialist नाखुस थे उन्हें लगता था क वह प्रवर्तन Directorate की मर्जी के शिकार हो रहे है इस कानून से धीरे धीरे विदेशी मुद्रा भंडार और आयत निर्यात में कमी आने लगी जिसके पश्चात् सन 1999 के शीलकालीन सत्र में FERA की जगह FEMA कानून लाने की सहमती हुई उसके कुछ महीने पश्चात् 1 जून 2000 को FERA को निरस्त कर FEMA अस्तित्व में आ गया।

FERA में जहा पहले मामला आपराधिक श्रेणी में आता था और सजा का प्रावधान था वही FEMA एक Civil law है जिसमे अपराधी का अपराध के तहत मामला दर्ज किया जाता है और इसमें सिर्फ जुर्माने का प्रावधान है FERA कानून इसलिए भी विवादित माना जाता है क्योकि इसके अंतर्गत मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी दोषी माना जाता है और उस आरोपी को यह साबित करना होता था की वो दोषी नहीं है, जबकि अन्य मामलों में दोष साबित ना होने तक आरोपी को Innocent माना जाता है, FERA कानून के जगह पर FEMA कानून लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य ये था की देश के विदेशी विनिमय बाजार और व्यापार को अधिक से अधिक सरल बनाया जा सकें।

What is FEMA in Hindi

फेमा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के लिए है। इसे पहले के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FERA) को बदलने के लिए पेश किया गया था, क्योंकि FERA उदारीकरण के बाद की नीतियों के अनुकूल नहीं था. FEMA को 1999 के संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया गया था, यह 1 जून 2000 को एक अधिनियम बन गया। इस अधिनियम के अनुसार, विदेशी मुद्रा से संबंधित सभी अपराध FERA के अनुसार आपराधिक अपराधों के विपरीत नागरिक अपराध हैं।

इसका प्रधान कार्यालय जिसे प्रवर्तन निदेशालय कहा जाता है, नई दिल्ली में स्थित है। इसके पांच क्षेत्रीय कार्यालय हैं जो दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और जालंधर में स्थित हैं. प्रत्येक अंचल कार्यालय का नेतृत्व उपनिदेशक करता है, प्रत्येक क्षेत्र को 7 उप-क्षेत्रीय कार्यालयों और 5 क्षेत्र इकाइयों में विभाजित किया गया है. उप-जोनल कार्यालय का नेतृत्व सहायक निदेशक करता है और फील्ड यूनिट का प्रमुख मुख्य प्रवर्तन अधिकारी होता है।

FEMA का मुख्य उद्देश्य विदेशी मुद्रा से संबंधित कानूनों को समेकित और संशोधित करना है ताकि बाहरी व्यापार और भुगतान को सुविधाजनक बनाया जा सके, दूसरा उद्देश्य जिसके लिए इसे तैयार किया गया है, भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमबद्ध विकास और रखरखाव को बढ़ावा देना है. FEMA पूरे भारत में लागू है। यह उन सभी कार्यालयों, एजेंसियों पर भी लागू होता है, जो भारत से बाहर हैं, लेकिन भारत के नागरिक हैं, जिनके पास स्वामित्व है या नियंत्रित है।

FEMA Main Features Hindi

  • यह आपको आरबीआई से पूर्व अनुमति के बिना विदेशी मुद्रा बेचने या आकर्षित करने की अनुमति देता है, आप बाद में आरबीआई को सूचित कर सकते हैं।

  • यह चालू खाता परिवर्तनीयता के अनुरूप है और पूंजी खाता लेनदेन के प्रगतिशील उदारीकरण के प्रावधान प्रदान करता है।

  • यह उन क्षेत्रों को ऋण देता है जिन्हें आरबीआई या सरकार की अनुमति की आवश्यकता होती है। विदेशी मुद्रा के अधिग्रहण या धारण के बारे में

  • इसने विदेशी विनिमय लेनदेन को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया है; पूंजी खाता लेनदेन और चालू खाता लेनदेन।

  • FEMA के तहत शामिल मुद्राएं एटीएम कार्ड, डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड हैं।

  • भूटान और नेपाल के साथ रुपयों का लेनदेन एफईएमए के तहत नहीं होगा क्योंकि ये देश रुपए स्वीकार करते हैं।

  • यह उस व्यक्ति को अनुमति देता है जो वर्तमान में भारत में निवासी है, लेकिन अतीत में भारत के बाहर का निवासी था, भारत के बाहर स्थित किसी भी विदेशी सुरक्षा या अचल संपत्ति को रखने, रखने या हस्तांतरित करने के लिए जिसे उसने प्राप्त किया था या वह एक निवासी था उस देश का।

FERA कानून को 1973 में संसद की मंजूरी मिली थी और 1 जनवरी 1974 को यह अस्तित्व में आया. FERA कानून भारत में पंजीकृत देशी और विदेशी दोनों Institutions व Companies पर लागू होता था। FERA आपराधिक श्रेणी का कानून था. इसके नियम इतने सख्त थे कि भारत में इसका उल्लंघन करता पकड़ा गया तो उसे जेल भी जाना पड़ सकता था. इसलिए बड़े उद्योगपतियों व Foreign merchants में इस कानून का भय छा गया जिसका प्रभाव विदेशी मुद्रा भंडार व आयत-निर्यात पर पड़ने लगा, नतीजतन 1999 के शीतकालीन सत्र में FERA की जगह फेमा लाने पर सहमति बनी और एक जून, 2000 को FERA के निरस्त होते ही फेमा अस्तित्व में आ गया।

FERA में जहां कोई मामला आपराधिक श्रेणी में आता था, और सजा का Provision था, वहीं फेमा एक दीवानी या सिविल कानून है. जिसमें नागरिक अपराध के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है। इसलिए इसमें सजा नहीं, सिर्फ जुर्माने का Provision है. FERA इसलिए भी विवादित माना गया, क्योंकि इसके तहत मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी दोषी माना जाता था और उसे ही यह साबित करना होता था कि वह कुसूरवार नहीं है, जबकि अन्य मामलों में दोष साबित न होने तक आरोपी निर्दोष माना जाता है. FERA के स्थान पर फेमा कानून लाने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि देश के विदेशी विनिमय बाजार और व्यापार को अधिक से अधिक सरल बनाया जाए, ऐसा हुआ भी, और इससे देश में विदेशी भुगतान और व्यापार को खूब बढ़ावा मिला।

इसके माध्यम से Foreign exchange (विदेशी विनिमय) से संबंधित सभी कानून को एक करने और उन्हें संशोधित करने में भी सरकार को सफलता मिली. चूंकि फॉरेन एक्सचेंज बढ़ाना था, लिहाजा इसके कई प्रावधान Foreign trade को बढ़ावा देते हैं. इसके Section 2 के अनुसार, भूटान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल, श्रीलंका, अफगानिस्तान, चीन और ईरान के निवासी भारत के किसी भी हिस्से में कोई स्थायी संपत्ति या अचल संपत्ति तो नहीं खरीद सकते, पर खेती के लिए या बगीचे के लिए उसका Transfer जरूर कर सकते हैं।

वह किसी भी संपत्ति को महज पांच वर्ष के लिए लीज पर ले सकते हैं, वह भी Reserve Bank of India की अनुमति मिलने के बाद कानून यह भी कहता है कि कोई व्यक्ति अपने साथ अधिकतम 5,000 अमेरिकी Dollar और इतने के ही साज-सामान ले जा सकता है. यदि इससे अधिक विदेशी मुद्रा या सामान ले जाना होता है, तो उस यात्री को इस बारे में पहले Custom Officers को सूचना देनी होती है।फेमा भारत के बाहर रहने वाले भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता।

फेमा का मुख्यालय प्रवर्तन निदेशालय Directorate Of Enforcement कहलाता है, जो नई दिल्ली में है. इसके अलावा इसे पांच जोनल ऑफिस में भी बांटा गया है, जो दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और जालंधर में है. जोन को भी सात सब जोन में बांटा गया है. सब जोन की जिम्मेदारी जहां सहायक निदेशक संभालता है, वहीं प्रवर्तन निदेशालय का मुखिया निदेशक कहलाता है।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (1999) या संक्षेप में फेमा पहले विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) के प्रतिस्थापन के रूप में पेश किया गया है. फेमा जून, 2000 के पहले दिन एक अधिनियम बन गया। फेमा को पेश किया गया था क्योंकि फेरा उदारीकरण की नीतियों के साथ फिट नहीं था. फेमा ने अपने साथ जो एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया, वह यह था कि इसने विदेशी मुद्रा नागरिक अपराधों के बारे में सभी अपराध किए, जैसा कि फेरा द्वारा निर्धारित आपराधिक अपराधों के विपरीत था।

विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (1999) के पीछे मुख्य उद्देश्य बाहरी व्यापार और भुगतान की सुविधा के उद्देश्य से विदेशी मुद्रा से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना है. यह भारत में विदेशी मुद्रा बाजार के क्रमबद्ध विकास और रखरखाव को बढ़ावा देने के लिए भी तैयार किया गया था।

फेमा भारत के सभी हिस्सों में लागू है, यह अधिनियम भारत के बाहर सभी शाखाओं, कार्यालयों और एजेंसियों पर भी लागू होता है, जो भारत का निवासी है या उसके स्वामित्व में है।

फेमा प्रधान कार्यालय, जिसे प्रवर्तन निदेशालय के रूप में भी जाना जाता है, नई दिल्ली में स्थित है और इसका नेतृत्व एक निदेशक करता है. निदेशालय को दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और जालंधर में 5 क्षेत्रीय कार्यालयों में विभाजित किया गया है, और प्रत्येक कार्यालय का नेतृत्व एक उप निदेशक करता है. प्रत्येक क्षेत्र को आगे सहायक निदेशकों की अध्यक्षता में 7 उप-क्षेत्रीय कार्यालयों और मुख्य प्रवर्तन अधिकारियों की अध्यक्षता में 5 क्षेत्र इकाइयों में विभाजित किया गया है।